Monday, December 19, 2011

दर्द तो होता रहता है, दर्द के दिन ही प्यारे हैं

जब चाहा इकरार किया, जब चाहा इनकार किया
देखो, हमने खुद ही से, कैसा अनोखा प्यार किया.

ऐसा अनोखा, ऐसा तीखा, जिसको कोई सह न सके
हम समझे पत्ती पत्ती को, हमने ही सरशार किया

रूप अनोखे मेरे हैं और रूप ये तूने देखे हैं
मैंने चाहा, कर भी दिखाया, जंगल को गुलज़ार किया

दर्द तो होता रहता है, दर्द के दिन ही प्यारे हैं
जैसे तेज़ छुरी को हमने रह रहकर फिर धार किया

काले चेहरे, काली खुशबू, सबको हमने देखा है
अपनी आँखों से इन सबको, शर्मिंदा हर बार किया

रोते दिल हँसते चेहरों को कोई भी न देख सका
आंसू पी लेने का वादा, हाँ, सबने हर बार किया

कहने जैसी बात नहीं है, बात तो बिलकुल सादा है
दिल ही पर कुर्बान हुए, और दिल ही को बीमार किया

शीशे टूटे या दिल टूटे, खुश्क लबों पर मौत लिए
जो कोई भी कर न सका वह हमने आख़िरकार किया

'नाज़' तेरे जख्मी हाथों ने जो भी किया अच्छा ही किया
तूने सब की मांग सजाई, हर एक का सिंगार किया.

- मीना कुमारी

8 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

दर्द ने जीने के तरीके बताये हैं।

***Punam*** said...

कहने जैसी बात नहीं है, बात तो बिलकुल सादा है
दिल ही पर कुर्बान हुए, और दिल ही को बीमार किया

bahut khoob...

मेरा मन पंछी सा said...

sundar rachana hai..

रश्मि प्रभा... said...

http://bulletinofblog.blogspot.com/2011/12/14.html

मुकेश कुमार सिन्हा said...

bahut khubsurat !!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

kabhi hamare blog pe aayen, swagat hai:)

Anju (Anu) Chaudhary said...

waah bahut khub....shabd shabd..man ko bhaa gaye

Pallavi saxena said...

पूरी रचना पढ़ने के बाद यदि इस मन से कुछ निकला तो बस वाह!!! वाह ....बहुत खूब