Wednesday, June 5, 2013

मायूस तो हूं वायदे से तेरे



मायूस तो हूं वायदे से तेरे
कुछ आस नहीं कुछ आस भी है,
मैं अपने ख्यालों के सदके
तू पास नहीं और पास भी है.

दिल ने तो खुशी माँगी थी मगर,
जो तूने दिया अच्छा ही दिया.
जिस गम को तअल्लुक हो तुझसे,
वह रास नहीं और रास भी है.

पलकों पे लरजते अश्कों में,
तसवीर झलकती है तेरी.
दीदार की प्यासी आँखों को, 
अब प्यास नहीं और प्यास भी है.
- साहिर लुधियानवी 
 

3 comments:

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर
साहिर लुधियानवी को पढना वैसे भी सुखद अहसास है।

कविता रावत said...

बहुत सुंदर ...

संजय भास्‍कर said...

अब प्यास नहीं और प्यास भी है.....सत्य कहा ...
सुन्दर रचना ...