Wednesday, November 2, 2016

ख्वाहिश की लंदन डायरी - 5


लीड्स - अगले दिन मुझे और मम्मी को जाना था लीड्स जो कि लंदन से कुछ ही दूर था। मैं मम्मी की एक दोस्त से मिलने लीड्स जा रही थी। उस दिन हम लोग सुबह जल्दी निकल गये। मामी ने हमें बस में बिठाया। हम लोग बहुत खुश थे कि एक और नया शहर देखने को मिलेगा। रास्ता भी खूब सुंदर था। रास्ते में मैंने मम्मी से खूब सारी बातें की और बहुत सारे विंडमिल्स देखे। बस आधी से ज्यादा खाली ही थी इसलिए मैं और मम्मी आराम से पैर पसारकर झपकी लेने लगे। जब हम उठे तो लीड्स आने वाला था। हमारी योजना वहां दो दिन रुकने की थी। जब हम कोच स्टेशन पर उतरे तो वहां पर मम्मी की दोस्त नीरा आंटी और अंकल हमारा इंतजार कर रहे थे। वो लोग हमें देखकर बहुत खुश हुए। हम लोग उनकी कार में बैठकर उनके घर चले गये। उनका शहर लीड्स शहर से दूर था। घर तक का रास्ता बहुत खूबसूरत था। जब हम उनके घर पहुंचे तो हमने देखा कि उनका घर बहुत बड़ा और खूबसूरत था। उसमें एक प्यारा सा बगीचा था जिसमें कुछ खरगोश कूदते फांदते नजर आये। नीरा आंटी ने हमें हमारा कमरा बताया और हमने उसमें अपना सामान रख दिया। मम्मी और आंटी ने एक-दूसरे से बहुत सारी बातें कीं और आंटी ने हमें बहुत लज़ीज पास्ता और गार्लिक ब्रेड बनाकर खिलाया। मजा तो तब आया जब खाने के बाद हम लोग लंबी सैर पर चले गये। उनके घर के पास ही खूब बड़े-बड़े खेत थे। तो हम उन खेतों के आसपास घूमते फिर रहे थे। वहां बहुत प्यारे-प्यारे घोड़े भी थे जिन्होंने कपड़े भी पहने हुए थे। थोड़ी देर की सैर के बाद जब हम लोग घर पहुंचे तो मैं टीवी देखने लगी और मम्मी ने खूब सारी बातें की और खाना खाकर सो गये। अगले दिन जब मम्मी ने उठाया तो उन्होंने बताया कि अंकल और आंटी हमें यॉर्क सिटी घुमाने ले जाने वाले हैं। मैं यह सुनकर बहुत खुश हुई। जल्दी से नहा धोकर मैं तैयार हो गई। गर्मागर्म नाश्ता करने के बाद हम लोग यॉर्कशायर के लिए निकल गये। 
सबसे पहले हम लोग यॉर्कमिनिस्टर चर्च और संग्रहालय देखने गये। उसका आर्किटेक्चर बहुत ही अनूठा था। उस पर बहुत बारीकी से काम किया गया होगा ऐसा लग रहा था। पास में ही एक कैसल थी हम वहां भी घूमने गये तो हमने देखा कि वो टूटा फूटा कैसल यानी किला अपने टूटन के साथ भी काफी खूबसूरत लग रहा था। कुछ देर हम वहां हरी घास पर बैठे रहे। धूप में हमने थोड़ी देर हमने आराम किया और इसके बाद हम चित्र संग्रहालय देखने चले गये जहां दुनिया भर के मशहूर आर्टिस्ट की अद्भुत पेन्टिंग्स थीं। पास में एक नदी थी जब हम उस नदी के पास से गुजर रहे थे तो हमने वहां प्यारी प्यारी ढेर सारी बतखें देखीं जो धूप में आराम फरमा रही थीं। हम लोग उसके बाद मॉल घूमने चले गये। हमने वहां कुछ खाया पिया, थोड़ी शॉपिंग की और फिर घर चले गये।
घर जाकर मैंने और मम्मी ने अपना सामान समेटा क्योंकि अगले दिन हमें सुबह जल्दी ही लंदन के लिए निकलना था। सुबह जब मम्मी ने उठाया तो मैं जल्दी जल्दी तैयार हो गई। नाश्ता करने के बाद थोड़ी बातें करीं और फिर स्टेशन के लिए हम निकल गये। आंटी ने हमारेे लिए रास्ते में खाने के लिए खूब सारा खाना रखा, उन्होंने हमें बस में बिठाया और हम वापस लंदन की ओर लौटने लगे। सुबह जल्दी उठने के कारण बस में हम दोनों को गहरी नींद आ गई। जब हमने आंखें खोलीं तो लंदन आ चुका था।

(अगली कड़ी और अंतिम में डरडल डोर और भारत वापसी - जारी )

3 comments:

HindIndia said...

बहुत ही सटीक ....... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। Nice article ... Thanks for sharing this !! :):)

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत बढ़िया

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सटीक